Thursday 8 March 2018

'मार्था से कहो मत रोए '- शर्ली ऐन विलियम्स की कहानी 'Tell Martha Not To Moan' का हिन्दी अनुवाद (२) ...समापन

अगली सुबह मम्मा आई और सीधी अन्दर आ गई, बेडरूम तक, हमेशा की तरह. मुझे ज़रा शर्म सी आई कि उसने मुझे एक मर्द के साथ देख लिया, मगर वो कुछ बोली नहीं सिर्फ़ कहा ‘माफ़ करना’ और मुड़ गई. “मैं लैरी को लेने आई थी.”
“वो दूसरे बेडरूम में है,” मैंने कहा और उठने लगी.
“ठीक है; मैं ले लेती हूं उसे.” और बाहर जा कर उसने दरवाज़ा बन्द कर दिया. फिर भी मैं पलंग से उठने लगी. टाइम ने हाथ बढ़ा कर सिगरेट उठाई और एक सुलगाई. “तुम्हारी मम्मा खटखटाने में यकीन नहीं रखतीं, क्यों?”
मैं कहने वाली थी इतनी ज़ोर से न बोले, मम्मा सुन सकती हैं फिर लगा शायद बुरा मान जाए, “वैसे यहां आम तौर पर कोई होता नहीं कि वो मुझे देख ले.” मैं पलंग के पास खड़ी हाउसकोट के बटन लगा रही थी, टाइम ने हाथ बढ़ा कर मेरी बांह खींची, मुस्कुराया.
“जानता हूं तुम कोई ऐसी-वैसी नहीं हो, मार्था, चलो वापस आ जाओ बिस्तर में.”
बांह खींच मैं दरवाज़े से बाहर जाने लगी. “मुझे लैरी के कपड़े सम्भालने हैं,” मैंने उसे बताया. सच में सम्भालने हैं क्योंकि मम्मा जब इस तरह शनिवार को लैरी के लिए आती है तो इतवार तक रखना चाहती है. पर—मालूम नहीं. कुछ ठीक नहीं लगता कि मैं यहां एक मर्द के साथ बिस्तर में रहूं और मम्मा साथ वाले कमरे में हो.
लगता है औरीन और जर्मन अभी तक दूसरे बेडरूम में ही हैं. लेकिन पता नहीं; औरीन को पसन्द नहीं उसके साथ कोई रात भर रहे. कहती है बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ता है. चलो अच्छा है दरवाज़ा तो बन्द है. मम्मा अगर शुरू हो जाए, “तुम घर क्यों नहीं चली आतीं,” वगैरह, जैसा हमेशा करती है तो अच्छा है औरीन न ही सुने.
औरीन के दोनों बच्चे अभी सो रहे हैं पर लैरी को मम्मा बिस्तर में ही गुदगुदा रही है, उसके साथ खेल रही है. लैरी को अच्छा लगता है. “खूब खुश है बच्चा, इतनी सुबह सुबह है,” मैंने उससे कहा.
मम्मा ने गुदगुदाना बन्द कर दिया और भारी भारी सांसे लेता लैरी एक मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा. “बड़ी मम्मा” हंसते हुए वो बोला और मम्मा की तरफ़ इशारा किया. मैं बस हंस दी और उसके कपड़े ले आई.
“इस वाले से तुम शादी करोगी?” जब से लैरी हुआ है, मैं जिस किसी के भी संग होती हूं मम्मा उसके बारे में यही पूछती है. 
“मम्मा, तुम सोचती हो शादी कर लूंगी तो मेरी आत्मा तर जाएगी?” कहते ही पछताई क्योंकि मम्मा को पसन्द नहीं मैं भगवान का मज़ाक उड़ाऊं. लेकिन कसम से तंग आ जाती हूं मैं इस सबसे. किसलिए शादी करूं? ताकि मिल जाए कोई डैडी जैसा, हर दम आता जाता रहे और जब जाए एक बच्चा छोड़ जाए. या कोई ऐसा जो साथ रहे, हर समय कुटम्मस करता रहे और मेरे बच्चे सोचें कितने गलीज़ हैं वो कि बाप साथ रहता है. जैसे स्कूल के वो सैडिटी परिवार के बच्चे. हटाओ. शादीशुदा हों या न हों बिस्तर में तो सब वही सब करते हैं.
मम्मा इस बारे में और कुछ नहीं बोली. पूछा काम कहां करता है. मैंने बता दिया और लैरी को बाथरूम में ले गई कि उसे नहला धुला दूं.
“तुम जैसे-जैसे बड़ी हो रही हो और मूरख होती जा रही हो मार्था. ये जो गाने बजाने वाले होते हैं, इनके पास औरत के लिए कुछ होता ही नहीं. ढेर सारी मीठी मीठी बातें और बच्चे, और बस्स. अभी जो है उसी के लिए वेलफ़ेयर तुम्हें कुछ देना नहीं चाहता, फिर कैसे तुम...” अफ़सोस तो हुआ मुझे पर मैंने सुनना बन्द कर दिया. मम्मा का मुंह कभी-कभी खटर खटर ऐसे चलता जाता है जैसे बत्तख के पिछवाड़े हड्डियां खड़-खड़ कर रहीं हों.  मैने बस जा कर बच्चा उसे दे दिया और बाकी सामान तैयार कर दिया.
“तो तुम्हारी मम्मा को गाने बजाने वाले पसन्द नहीं, हुं?” जब मैं वापस बेडरूम में पहुंची तो टाइम बोला. “जाहिल लोग. जो जानते नहीं उस सब से नफ़रत करते हैं. जाहिलों से भरी इस जाहिल जगह से भगवान छुटकारा दिलाए.” उसने करवट बदल ली.
“कल रात तो तुम मुझे जाहिल नहीं कह रहे थे.”
“तुम्हें तो मैं अब भी जाहिल नहीं कह रहा मार्था.”
मैं वापस बिस्तर में घुस गई और उसने अपनी बांह मेरे गिर्द डाल दी. “पर उन्हें जो कहना होता है कह देते हैं. जब तक मुझसे पंगा न ले ठीक है. लेकिन ऐसा तो हो ही नहीं सकता. किसी न किसी को तुम्हारी ज़िन्दगी के बारे में कुछ न कुछ कहना ही होता है. सब बताना चाहते हैं, कहां जाओ, कैसे बजाओ, क्या बजाओ, कहां बजाओ—हत तेरे की, यहां तक कि किस के साथ करो, कैसे करो. पर मैं जब न्यूयॉर्क पहुंच जाऊंगा...”
“टाइम, अभी हम बात न करें.”
तब वो हंसा, “मार्था, तुम बस कितनी काली हो.” समझ नहीं आया मुझे क्या कहना चाहिए तो मैंने कुछ कहा नहीं  बस नज़दीक आ गई और हमने कोई बात भी नहीं की.
हम दोनों के साथ अक्सर ऐसा ही होता है. लगता है मेरे दिमाग मे बस नन्हीं-नन्हीं तस्वीरें हैं जो मैं किसी को बता ही नहीं सकती कि कैसी दिखती हैं. एक बार उसे बताने की कोशिश की थी उन तसवीरों के बारे में, और वो बस हंस दिया था. “कम से कम तुम्हारा दिमाग खाली तो नहीं है, अभी तस्वीरे आई हैं तो कुछ खयाल भी आ ही जाएंगे.” बड़ा गुस्सा आया और मैं खूब कोसने लगी मगर वो हंसा और मुझे चूमा और पकड़े रहा. और उस बार जब हम कर रहे थे वो बिल्कुल—बिल्कुल गुस्से में था जैसे मुझे चोट पहुंचाना चाहता हो. और मुझे उस गाने का ख्याल आ गया जो उसने पहली रात गाया था उदास होने के बारे में. पर वही एक बार था जब वो गुस्से में आया था.
दो दिन बाद ही टाइम और जर्मन प्यानो ले आए. छोटा, चमचमाती काली लकड़ी का प्यानो. घर के अन्दर लाते वक्त जब सामने के दरवाज़े से जर्मन ने प्यानो को टकरा दिया टाइम ने खूब गाली दी. टाइम चाहता था उसे बेडरूम में रखे मगर मैं चाहती थी वो जब वहां हो तो मेरे बारे में सोचे किसी वाहियात प्यानो के बारे में नहीं. मैंने कहा या तो वो उसे बैठक में रखे या वो घर में नहीं आएगा. औरीन तो चाहती ही नहीं थी प्यानो घर में आए बस्स, कहा बहुत शोर करता है—ये उसने मुझसे कहा. टाइम से कुछ नहीं कहा. लगता है कुछ डरती है वो उससे. हालांकि बजाता तो वो काफ़ी अच्छा है. बच्चे जब सो रहे हों तब कभी नहीं बजाता, कम से कम उतना ज़ोर से तो नहीं जितना बजा सकता है. पर जब बजा रहा होता है तो सिर्फ़ प्यानो के बारे में ही सोच रहा होता है. कुछ पूछो तो जवाब नहीं देता, छुओ तो ऊपर नहीं देखता. एक बार मैंने कहा, “मुझ पर कुछ ध्यान दो,” पर उसने सुना ही नही. मैने उसके हाथ पर मारा, ज़ोर से नही बस खिलवाड़ की तरह. उसने मुझे देखा लेकिन बजाना नही छोड़ा. “बाहर निकलो, मार्था.” मैं पहले कहने जा रही थी कि मेरे ही घर में वो मुझे नही बता सकता कि मैं क्या करूं, पर वो सिर्फ़ मेरी तरफ़ देख रहा था. देख रहा था और बजा रहा था और कुछ बोल नही रहा था. मैं चली गई.
ज़्यादातर शामों को, जब वो घर में होता है और बजा नही रहा होता, उसके दोस्त आ जाते हैं. वही जैसे सबका लीडर है. जो कहता है वही होता है. वे सब उसे बताते रहते हैं वो कितना अच्छा है. “अरे यार, जैसा तुम बजाते हो, देखने में नहीं आता.” “इस छोटे से कस्बे से बाहर निकलना चाहिए ताकि कोई तुम्हें बजाते सुन सके.” ज़्यादातर तो वो बस मुस्कुरा देता है कुछ कहता नही या सिर्फ़ थैंक्स बोल देता है. पर सोचती हूं क्या वो यकीन करता है उन पे. कभी मैं उसे बताती हूं कि वो कितने ही लोगों से, जिनके रिकॉर्ड बजते हैं, बेहतर लगता है. वो मेरी तरफ़ हौले से मुस्कुरा देता है. लेकिन मुझे लगता है कि मेरे ऐसा कहने से उसे खुशी मिलती है.
जब दोस्त आते हैं हम बैठे बैठे हंसी-ठट्ठा करते हैं, गप्पे मारते हैं, पीते-पिलाते हैं. औरीन को भाता है यह सब क्योंकि वो उन सबके साथ इठलाती रहती है. वे उसे बताते हैं उसके कूल्हे कितने सुडौल हैं. मुझसे वे ऐसा कुछ नही कहते, टाइम ठीक सामने जो बैठा रहता है, पर जब तक टाइम मुझसे कहता रहे, मुझे दूसरों की क्या परवा.  कुछ ऐसे लगता है जैसे जब हम ‘लीजन’ में जाते हैं, जब से टाइम और जर्मन हमारे साथ रहने लगे हैं. हम हमेशा मुफ़्त में अन्दर जाते हैं और सामने वाली बड़ी सी मेज़ पर बैठते हैं. औरीन को यह बड़ा अच्छा लगता है, उसे लगता है वो कोई बड़ी चीज़ बन गई. पर अन्दर से अब भी वैसी ही, कोंचने वाली; हरदम बोलती रहती है “ज़रा ठसक से, एकदम बिन्दास हो कर बैठो, मार्था,” और “ठसक से रहो, लड़की.” जैसे यही दुनिया में सबसे बड़ी बात हो. आखिर मैंने उससे कह दिया, “मैं जैसी हूं टाइम को वैसी ही पसन्द हूं, ठसक से रहूं चाहे न रहूं.” और यह सच है; टाइम हमेशा मुझ से कहता है कि मैं बस अपने जैसी ही रहूं और मैं ठीक रहूंगी.
टाइम और उसके दोस्त, वो लोग ज़्यादातर म्यूज़िक की ही बात करते हैं, म्यूज़िक और न्यूयॉर्क शहर और गोरे लोग. कभी-कभी उन्हें सुनते-सुनते मैं इतनी तंग आ जाती हूं. हमेशा वही बात. कैसे वे गोरे की आंख में धूल झोकेंगे, कैसे उसका कुछ छीन लेंगे, ये करेंगे, वो करेंगे. हत तेरे की! मैंने कह भी दिया. पर उन्होंने कान नहीं धरा.
एक रात जर्मन बोला, “अरे यार, वो गोरा आया था पूछने क्या मैं उसके घर पर बजाऊंगा, इतने...”
“तुमने क्या कहा, ‘पहले नामा रक्खो मेरे बटुए में?’” टाइम ने पूछा. वो सारे ठठा पड़े. मैं और औरीन बैठे रहे, चुपचाप. औरीन मुंह सुजाए है क्योंकि उसके और टाइम के बीच किसी किस्म का खेल चल रहा है और वो समझ नहीं पा रही क्या हो रहा है.
“ अरे, यारों, याद है उस बार जब फ़्रिस्को में हम सबको म्यूज़िक बजाने के काम से हटा दिया गया था और हममें से किसी की भी दोस्त के पास नौकरी नहीं थी?” यह ब्राउन था, उनके साथ बास बजाता था.
“अरे,” टाइम बोला, “मुझे तो बस इतना याद है कि ज़्यादातर समय मैं चढ़ाए हुए था. पर कैसे चढ़ाए था जब किसी के पास पैसे ही नहीं थे? कोई तो ज़रूर किसी के बटुए में कुछ रख रहा था.” ज़रा हंसते हुए वो पीछे की तरफ़ झुका. “ज़रूर वेर्ना की मम्मा उसे पैसे भेज रही होगी, उसकी नौकरी लगने तक. हां, हां, यही बात थी. याद है जब पहली बार उसकी मम्मा ने पैसे भेजे थे और उसने सारे के सारे रखने के लिए मुझे दे दिए थे?”
“और भला क्यों किया उसने ऐसा? तुम तो जा कर आधी रकम जुए में हार आए थे और जो बाकी बचा उसमें से ज़्यादातर का गांजा खरीद लिया था.” जर्मन उतना नहीं हंस रहा था जितना कि टाइम और ब्राउन.
“अरे, बहुत डर रहा था मैं उसे बताने से, क्योंकि याद है कितनी जल्दी उसके जबड़े कस जाया करते थे? लेकिन ठंड रक्खी थी उसने, कुच्छ नहीं बोली थी. मैंने उससे कहा बाकी पैसे से मैं खाना लाने जा रहा हूं और उसे क्या चाहिए, तो...”
“तो वो बोलती है सिगरेट,” ठहाका लगाते हुए ब्राउन बोला, “और ये हज़रत, अरे साहब, ये जैज़ के बजैया उससे कहते हैं, “ए औरत, ये पैसा हम गैर-जरूरी चीजों पर ‌ज़ाया नहीं करने वाले!’ हंसते-हंसते दोहरा हो गया ब्राउन. सभी हंस रहे थे. मगर मुझे ये बात उतनी हंसने वाली लग नहीं रही थी. कोई भी औरत किसी मर्द को पैसे दे सकती है.
“ऐसा लगा वो मार ही डालेगी मुझे, इतने कस गए थे उसके जबड़े. पर कसे जबड़ो के साथ भी वेर्ना ने ठण्ड रक्खी. बस बोली, “बेबी, तुमने अभी गैर-ज़रूरी चीज़ों पर पचास डॉलर बर्बाद कर डाले हैं; मुझे तीस सेण्ट्स तो कर लेने दो.”
इस पर सबको बड़ी ही हंसी आई. मेरे अलावा सभी ठहाके लगा रहे थे. टाइम बैठे-बैठे ज़रा मुस्कुरा रहा था और सिर हिला रहा था. फिर हाथ आगे बढ़ा कर उसने मेरा घुटना दबाया. और जैसा मैंने कहा मैं जान गई; कोई भी औरत किसी मर्द को पैसा दे सकती है.
जर्मन कुर्सी में फड़फड़ा रहा था, आखिरकार बोला, “हां, भई, ये गोरा बन्दा चाहता है उसके घर मैं पचास सेण्ट्स में बजाऊं.” जर्मन को खुद सुनना चाहिए वो क्या बोल रहा है. “उससे मैंने कहा लो अपने पचास सेण्ट्स और डालो अपने पिछवाड़े—ओह माफ़ करना. भूल ही गया यहां बच्चा है—पर मैंने उसे बता दिया कि वो उसका क्या करे. मैं जब गोरों के लिए बजाता हूं, मैं उसको बोला, तो दो सौ डॉलर से कम में नहीं बजाता और वो इतना बुद्धू है कि दे भी देगा.” सब हंसे लेकिन मैं जानती हूं जर्मन झूठ बोल रहा था. पचास क्या, कोई दस सेण्ट्स भी दे तो वो बजाएगा.
“बात पैसे की नहीं है यार,” टाइम ने कहा, “वो जानते ही नहीं, भैनचोद, बज क्या रहा है.” मैंने उससे कहा लैरी यहीं बैठा है. जानती हूं वो कोई ध्यान नहीं देने वाला पर लगता है अगर जर्मन मेरे बच्चे का मान रख सकता है तो टाइम भी रख सकता है. “अरे, वो लोग जाते हैं किसी छोटे-मोटे स्कूल में, थोड़े-बहुत तार छेड़ने सीख लेते हैं, सोचते हैं सब जान गए. फिर क्लब में आ जाते हैं, साथ बैठना चाहते हैं. तब, अगर तुम किसी गोरे के लिए काम कर रहे हो तो वो तुम्हे कर देगा बाहर, उन्हें कर लेगा अन्दर. ना भई, मुझे किसी गोरे से कुछ लेना-देना नहीं.”
“यहीं तो तुम गलत हो,” मैंने उससे कहा, “जिन्हें नापसन्द करो उनके पास जो कुछ है, सबसे लेना-देना रक्खो. सब ले लो, फिर कहो तुम्हारा पिछवाड़ा चूमें.”
“यह भी शायद तुम्हारी तस्वीरों में से है,” टाइम ने कहा. और वो सब हंस पड़े क्योंकि एक बार जब वो मुझसे नाराज़ था उसने सबको इस बारे में बता दिया था.
“नही, नही, “ मैंने कहा, “सुनो तो, एक बार मैं शहर की तरफ़ जा रही थी और एक गोरे ने कहा वो मुझे अपनी गाड़ी मे छोड़ देगा. मैं बोली ठीक है और बैठ गई. फिर वो बात करने लगा, इशारों-इशारों में कहने लगा, आखिर साफ़-साफ़ बोल दिया. बीस डॉलर दूंगा. मैंने कहा ठीक है. हम तब तक चाइना टाउन पहुंच गए थे और अगले स्टॉप की बत्ती पर उसने मुझे बीस डॉलर दिए. ‘तुम काली औरतों में मुझे यही बात अच्छी लगती है,’ और वो अपनी सीट पर पीछे की ओर लेट गया मानो पहले ही काफ़ी मिल चुका हो और अब वो बाकी का इन्तज़ार कर रहा हो. ‘हां,’ उसने कहा, ‘तुम्हें पाना इतना आसान है.’ पैसा मैंने अपने पर्स में रक्खा, दरवाज़ा खोला और कहा, “माचोद, तूने यहां कुछ नहीं पाया,’ और दरवाज़ा दे मारा.
“मुंह संभाल के,” टाइम बोला, “लैरी बैठा है.” सब हंस पड़े.
“फिर उसने क्या किया?” औरीन ने पूछा.
“क्या कर सकता था? हम चाइना टाउन में थे, चारों तरफ़ काले चल रहे थे. पता है वो किसी गोरे को मेरे साथ कुछ न करने देते.”
रात को जब हम सोने गए टाइम ने कहा अगर उसने मुझे किसी गोरे के साथ देखा तो मुझे मार डालेगा.
मैं हंसी और उसे चूमा, “ मुझे क्या करना किसी गोरे से, जब मेरे पास तुम हो?” हम हंसे और बिस्तर में घुस गए. पसरी हुई मैं उसके पास आने का इन्तज़ार करती रही. अजीब बात है, मैंने सोचा, कोई काला मर्द कभी नहीं चाहता कि कोई भी काली औरत किसी गोरे के साथ लफड़-सफड़ करे मगर जहां मौका मिला वही मर्द खुद गोरी औरत के बिस्तर में पहुंच जाएगा. हां, काले मर्द ज़रूर बड़ी मुश्किलें खड़ी करते है, काली औरतों के लिए. मगर मैं जानती हूं अगर टाइम मुश्किल खड़ी करेगा तो वो किसी छरहरी मेम के लिए नहीं होगा, और मैं ज़रा अपने में ही मुस्काई.
“मार्था...”
“हां, टाइम,” उसकी ओर मुड़ते हुए मैने कहा.
“कितने साल की हो तुम...अट्ठारह की?...ज़िन्दगी में क्या करना चाहती हो तुम? क्या बनना चाहती हो?”
क्या मतलब है इसका? “तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं,” मैंने कहा.
“नहीं, मेरा मतलब सच में. क्या चाहती हो?” ये क्यों जानना चाहता है, मैने सोचा. जब भी वो इस तरह की भारी-भरकम सी बातें करने लगता है, मुझे लगता है जरूर उसे वो निकल जाने वाला गाना याद आ रहा होगा.
“चाहती हूं मुझे कभी किसी से कुछ मांगना न पड़े. अपनी देखभाल खुद करना चाहती हूं.” तुम पर बोझ नहीं बनूंगी, मैं उसे बताना चाहती हूं. ज़रा भी मुश्किल नहीं खड़ी करूंगी.
“फिर वेलफ़ेयर में क्या कर रही हो?”
“तो क्या करूं? जाके दूसरों के टॉयलेट साफ़ करूं, जैसे मम्मा करती थी, ताकि लैरी भी बिगड़ जाए, जैसे मैं बिगड़ गई थी? जी नहीं, अभी कुछ समय मैं वेलफ़ेयर पर ही रहूंगी, शुक्रिया.”
“देखा गोरों ने हमारे साथ क्या किया है...हमारे साथ क्या कर रहा है.”
“गोरे आदमी न तो ठेंगा,” मैंने उससे कहा, “ये सब मेरे नाकारा बाप का किया धरा है. वो अगर बाहर जाके कुछ काम करते तो हमारे लिए अच्छा होता.”
“कैसे करते काम अगर उन्हें करने नहीं दिया जाता?”
“तुमने तो बस उस आदमी को अपने को निकाल देने दिया है. हां, तुम्हारे माथे पे चढ़ गया है वो आदमी.”
“क्या मतलब तुम्हारा?” बड़ी ही खामोशी के साथ उसने पूछा. पर मैने उस पर ध्यान नहीं दिया.
“तुम हमेशा बातें करते रहते हो—म्यूज़िक की और न्यूयॉर्क शहर की, न्यूयॉर्क शहर और गोरों की. भूल क्यों नहीं जाते सारी बकवास और दूसरों की तरह नौकरी क्यों नहीं ढूंढ लेते? उस कमबख्त प्यानों से नफ़रत करती हूं मैं.”
उसने खूब कस के मेरा कन्धा पकड़ लिया, “ क्या मतलब ‘मेरे दिमाग पर चढ़ गया?’ क्या मतलब है?” और वो मुझे झकझोरने लगा. पर मैं रोती जा रही थी, सोच रही थी वो मुझे छोड़ देगा.
“तुम हंसते हो क्योंकि मैं कहती हूं मेरे दिमाग मे बस तस्वीरे हैं लेकिन कम से कम वो म्यूज़िक से तो बेहतर हैं. तुम तो हरदम बस उसी के बारे में सोचते हो टाइम.”
“क्या मतलब? क्या मतलब?”
आखिर मैं चीख पड़ी. “तुम कभी उस नामुराद न्यूयॉर्क शहर नही जा रहे और इसकी वजह गोरा आदमी नही. उसका इस्तेमाल तुम बहाने की तरह करते हो क्योंकि डरते हो. शायद तुम बजा ही नही सकते” वही एक बार था जब उसने मुझे मारा. और मैं रोई क्योंकि जानती थी अब वो पक्का चला जाएगा. उसने मुझे थामा, कहा मत रो, कहा वो सॉरी है, पर मै रुक ही नही पाई. औरीन दरवाज़ा भड़भड़ा रही थी और टाइम चिल्ला रहा था हमें अकेला छोड़ दो, बच्चे रो रहे थे और आखिर वो अलग हटने लगा. मैंने कहा, “टाइम...” बड़ी देर तक वो बिना हिले-डुले खड़ा रहा, फिर बोला, “ठीक है, ठीक है, मार्था.”
नही, ऐसा नही लगा कि अब वो मुझे चाहता नहीं , वो—

“मार्था, मार्था. मैंने इतनी देर जो कुछ कहा तुमने एक शब्द नहीं सुना.”
“मम्मा.” मैंने बहुत नर्मी से कहा क्योंकि मैं उसे चोट नही पहुंचाना चाहती थी. “प्लीज़, मुझे अकेला छोड़ दो. तुम और औरीन—और कभी-कभी टाइम भी—तुम सब मेरे साथ ऐसा बर्ताव करते हो जैसे मैं कुछ जानती ही नहीं. सिर्फ़ इसलिए कि तुम्हें नहीं लगता कि मैं जानती हूं मैं क्या कर रही हूं—इसका कुछ मतलब नहीं. तुम मेरी ज़िन्दगी के भीतर नही देख सकतीं.”                                                         
“इतना तो देख ही सकती हूं कि जान लूं तुम एक के बाद एक मुश्किल में फंस रही हो.” उसने सिर हिलाया, आवाज़ ज़रा हल्की सी निकली. “मार्था, तुम्हारा नाम मैंने बाइबल की उस औरत पर रखा था, चाहती थी तुम उस जैसी बनो. जैसी वो नेक है वैसी. मार्था, उस औरत ने विश्वास करना कभी बन्द नहीं किया. विनम्रता नहीं छोड़ी, धीरज नहीं छोड़ा और लॉर्ड ने उसकी जगह बनाए रखी.” मेज़ पर हाथ रख कर वो आगे झुकी. फिर बर्तन धो रही थी, हाथ पूरे सिकुड़े, भीग कर चमकीले. “पर वो तो बाइबल थी.तुम्हारे पास धीरज रखने का, टाइम का या किसी और का इन्तज़ार करने समय नहीं है, जो तुम्हारे लिए एक जगह बनाएगा. वो आदमी किसी काम का नहीं. मैंने बताया तो था—”   
शब्द और तेज़, और तेज़ निकल रहे हैं. जैसे गाय को पूंछ से पकड़े वो भगाती जा रही है. हालांकि कोई फ़र्क नहीं पड़ता. वो बोलती जा रही है और मैं बैठी सोच रही हूं टाइम के बारे में. “तुम अच्छी महसूस होती हो...तुम मेरी ब्लैक क्वीन बनोगी?...हम साथ में खूब मज़े से रहेंगे...तुम्हारे साथ अच्छा लगता है...’ वो लौटेगा.         

1 comment:

  1. बहुत अच्छी कहानी। सुंदर अनुवाद।

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